लंबे समय में एलपीजी के दाम बढ़ाने को लेकर सरकार पर आर्थिक दबाव बना हुआ है। ऐसे में रियायती एलपीजी सिलेंडर को एक सीमा में बांधने को लेकर सरकार ने लगभग सारी तैयारियां पूरी कर ली है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री आर पी एन सिंह ने भी इसको लेकर संकेत दे दिए हैं।
उनके मुताबिक, आर्थिक दृष्टि से कमजोर न माने जाने वाले परिवारों को मिलने वाले रियायती एलपीजी सिलेंडरों की एक सीमा तय करने का वक्त अब शायद आ गया है। सरकार इस बारे में जल्द ही निर्णय लेने की तैयारी में है जिससे इस मद में दी जाने वाली सब्सिडी में 10,000 करोड़ रुपये सालाना तक की खासी कमी संभव हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार डीजल के मूल्यों को आंशिक तौर पर नियंत्रण मुक्त करने पर भी विचार कर रही है। सिंह ने कहा, 'सरकार एलपीजी पर बतौर सब्सिडी 36,000 करोड़ रुपये देती है। हालांकि, बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी इससे लाभान्वित होते रहे हैं जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर नहीं हैं और जिन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं है। यही कारण है कि सरकार इस तरह के लोगों को मिलने वाले रियायती एलपीजी सिलेंडरों की एक सीमा तय करने पर विचार कर रही है।'
उनके मुताबिक, आर्थिक दृष्टि से कमजोर न माने जाने वाले परिवारों को मिलने वाले रियायती एलपीजी सिलेंडरों की एक सीमा तय करने का वक्त अब शायद आ गया है। सरकार इस बारे में जल्द ही निर्णय लेने की तैयारी में है जिससे इस मद में दी जाने वाली सब्सिडी में 10,000 करोड़ रुपये सालाना तक की खासी कमी संभव हो पाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार डीजल के मूल्यों को आंशिक तौर पर नियंत्रण मुक्त करने पर भी विचार कर रही है। सिंह ने कहा, 'सरकार एलपीजी पर बतौर सब्सिडी 36,000 करोड़ रुपये देती है। हालांकि, बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी इससे लाभान्वित होते रहे हैं जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर नहीं हैं और जिन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं है। यही कारण है कि सरकार इस तरह के लोगों को मिलने वाले रियायती एलपीजी सिलेंडरों की एक सीमा तय करने पर विचार कर रही है।'
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